मन को शक्तीशाली बनाने के तीन उपदेश :
१ यदि तुम अपने मन पर पूरा अधिकार रखोगे और उसमे किसी प्रकार के दुष्ट विकार या दोष आदि उत्पन्न न होने दोगे तो फिर तुम अपने भाग्य के स्वयं ही विधाता बन जाओगे इश्वर ने कभी दुर्भाग्य और विपत्ति आदि की गठरी बांध कर तुम्हारे सर पर नहीं रखी है |
२ मन को वश में करना बहुत ही कठिन साध्ये होता है और इसी से अध्यात्मिक उन्नति होती है किन्तु इसके लिए बहुत ही बड़े अभ्यास की आवश्यकता होती है और अभ्यास ही एक एसी चीज है जिसके द्वारा मनुष्य कठिन से कठिन और असंभव कार्ये को भी बड़ी आसानी से कर सकता है |
३ जब कोई आदमी अपने आपको दीन हीन भिखारी समझता है और उसी दीनहीन विचारों में मग्न रहता है तब तक वह सिवाय भिखारी होने के अलावा कुछ और हो भी नहीं सकता क्यों की जब तक कोई भी विफलता के विचार या भाव मन में रखता है तब तक उसे सफलता मिल ही नहीं सकती है |
१ यदि तुम अपने मन पर पूरा अधिकार रखोगे और उसमे किसी प्रकार के दुष्ट विकार या दोष आदि उत्पन्न न होने दोगे तो फिर तुम अपने भाग्य के स्वयं ही विधाता बन जाओगे इश्वर ने कभी दुर्भाग्य और विपत्ति आदि की गठरी बांध कर तुम्हारे सर पर नहीं रखी है |
२ मन को वश में करना बहुत ही कठिन साध्ये होता है और इसी से अध्यात्मिक उन्नति होती है किन्तु इसके लिए बहुत ही बड़े अभ्यास की आवश्यकता होती है और अभ्यास ही एक एसी चीज है जिसके द्वारा मनुष्य कठिन से कठिन और असंभव कार्ये को भी बड़ी आसानी से कर सकता है |
३ जब कोई आदमी अपने आपको दीन हीन भिखारी समझता है और उसी दीनहीन विचारों में मग्न रहता है तब तक वह सिवाय भिखारी होने के अलावा कुछ और हो भी नहीं सकता क्यों की जब तक कोई भी विफलता के विचार या भाव मन में रखता है तब तक उसे सफलता मिल ही नहीं सकती है |
No comments:
Post a Comment