Saturday, November 5, 2011

Universal Truth

कर्म क्या है :-


(1)चौपाई:-

         काहु न कोउ सुख दुःख कर दाता !
         निज कृत करम भोग सबु भ्राता !!

भावार्थ:- महाकवि तुलसीदास जी द्वारा रचित रामचरित मानस के अयोध्या कांड में श्री लक्ष्मणजी निषादराज से कहते है- कि हे भाई ! कोई किसी को सुख दुःख देने वाला नहीं है, सभी लोग अपने किये हुए कर्मों का फल भोगते है ! अर्थात जैसी करनी वैसी भरनी !

(2)चौपाई :-

             कर्म  प्रधान   विश्व  करि  राखा !
             जो जस करहि सो तस फलु चाखा !!

भावार्थ:- अर्थात इस संसार में कर्म ही प्रधान है, जो जैसा करता है वैसा ही फल पाता है ! 
               "जैसी करनी वैसा फल, आज नहीं तो निश्चय कल !"


भगवतगीता शलोक:-
           
                 यादृशं  कुरुते कर्म,  तादृशं फलमश्नुते !
                                           और 
                 अवश्यमेव भोक्तव्यं कृतं कर्म शुभाशुभं ! 

भावार्थ:- गीता में भगवान कृष्ण कहते है कि मनुष्य जैसा कर्म करता है, वैसा ही फल पाता है !
 और मनुष्य  को उसके अच्छे और बुरे कर्मो के फल अवश्य ही भोगने पड़ते है !
              इसलिए कहावत है कि "बोया पेड़ बबूल का, आम कहा ते खाय "!

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