Friday, June 8, 2012

Morning Mantras


                               !! करदर्शनम !!
                         
          कराग्रे वसते लक्ष्मी: करमध्ये सरस्वती !
          करमूले तू गोविन्द: (ब्रह्मा:) प्रभाते कर दर्शनम !!

भावार्थ:- हाथ के अगले भाग में लक्ष्मी, मध्य भाग में सरस्वती और मूल भाग में गोविन्द बसते है,इसलिए प्रात: काल उठते ही हाथों का दर्शन करना चाहिए ! ओर साथ ही अपने इष्ट देव का स्मरण करना चाहिए !


(२) बिस्तर से जमीन पर पैर रखने से पहले इस श्लोक को बोलकर  फिर पैर रखना चाहिए !

            !! पृथ्वी की वंदना और क्षमायाचना !!


                             
                 
        समुद्रवसने देवी ! पर्वतस्तनमण्डले !
        विष्णुपत्नी ! नमस्तुभ्यम पादस्पर्शम क्षमस्व में !!

भावार्थ:- समुद्ररूपी वस्त्रोवाली, पर्वतरूपी स्तनवाली और विष्णु भगवान की पत्नी हे पृथ्वी देवी ! तुम्हे नमस्कार करता हूँ ! तुम्हे मेरे पैरों का स्पर्श होता है इसलिए क्षमायाचना करता हूँ ! 

No comments:

Post a Comment