एश्वर्य- प्राप्ति का ध्यान
सेप्टेम्बर १९१६ के ‘वर्ड्स ऑफ पावर ‘ नामक
‘चिकांगो’ मासिक पत्र में ‘बी० डब्ल्यू० स्मिथ ‘ नाम के विद्वान ने लिखा है कि
विचारों से संसार कि सारी वस्तुऐ आकर्षित कि जा सकती है, इस सिद्धांत का रह्श्ये
बहुत कम लोग समझते है | जिस वस्तु को आकर्षित करना हों, उसका मानसिक चित्र जबतक मन
में नहीं बन पाता तब तक वो वस्तु हमें प्राप्त नहीं हों सकती है और प्राप्ति
में विलम्ब होता है जिस समय हम अपने विचार जिस जगह भेजते है , तो अपना सारा बल
विचारों पर ही लगा देते है , परन्तु हम अपने विचारोको कितना स्पष्ट से मूर्तिमान
बना सकते है, उसी पर उसकी पूर्णता निर्भर है |
उन्होंने ध्यान करने कि विधी निचे लिखे अनुसार
बताई है –
१
दिन का कोई समय स्थिर करलो जिस समय तुम अपने विचारों को उन्नति के लिए एकाग्र कर
सको |
२
एकांत स्थान में बैठकर दोनों हाथ गोद में रखलो | नेत्र बंद करलो , और शरीर को ढीला
छोड़ दो |
३
तब नीचे लिखे अनुसार ध्यान करो | दूसरा कोई विचार मन में मत उठने दो –
‘ मैं उन्नति चाहता हूँ | मेरी आय २० लाख रूपये
प्रति वर्ष होवे या ‘ जो कुछ कम या ज्यादा आय कि तुम्हे आवश्यकता हों , वही स्थिर
करो ; पर एक बार जो आय स्थिर करली गई हों वो पूरी नहीं होंने तक आय हेतु दूसरा
फिगर मत सोचो वरना फलित होने में संशय बन जाएगा |
अब ध्यान में हरा रंग देखना आरम्भ करो | सावन
भादो कि हरियाली कि तरह जैसे सारा जंगल सर्वत्र हरा ही हरा नजर आता है , उसी
प्रकार तुम अपने को , अपने वस्त्रों को, कमरे को, घरको, दुकान को और दुकान कि
समस्त वस्तुओ को हरे रंग कि देखो | बाग बगीचे , पुष्प-फल ,जल-स्थल जो कुछ भी तुम
मानस चक्षुओ {मानसिक कल्पनाओ} से देखो, सब हरे रंग का देखो | यहां तक कि सूर्य,
चंद्रमा, पृथ्वी, समुद्र, घर , बाहर सब हरे रंग का देखो | हरे रंग के सिवाय दूसरा
रंग ही संसार में नहीं है , ऐसा प्रत्यक्ष के समान भावना करो |
उस समय
तुम चारो और ग्राहकों की भीड़ देखो | तुम्हारी दुकान पर धडल्ले से लेन देन हों रहा
है | विदेशों से तुम्हारी भारी डाक आई है | तुम्हारा कारोबार बहुत तेजी से चल रहा
है | तुम अपने ग्राहकों के लाभ का पूरा-पूरा ध्यान रखते हुए, सब से मीठे वचन से
बात करते हुए , अपनी दुकान का काम बड़ी सत्यता और ईमानदारी से चला रहे हों ऐसी
भावना करो |
यह सब हरे रंग में ही देखना चाहिए , क्योकि
कलर मेडिटेसन में हरा रंग ही इन चीजों को जल्दी आकर्षित करता है, एश्वर्य आकर्षण
करने वाला इसके समान दूसरा रंग नहीं है | जब तुम रोम-रोम में और बाहर सारा जगत हरे
रंग में देखते हुए तन्मय हों जाओ , उस समय नीचे लिखे वाक्यों को दस बार जपो:–
“ में पूर्ण हूँ | में जैसा चाहूँगा , अवश्य
होऊंगा “
यह अभ्यास नित्य तीस मिनट करना चाहिए |
पन्द्रह मिनट प्रात;काल उठते समय, पांच मिनट दोपहर को और दस मिनट सोने के समय |
विश्व में कोई अपूर्ण नहीं है ; किन्तु अभिलाषित
वस्तुओ को प्राप्त करने का सूत्र हमें मालूम नहीं है | इसी से हम असफल होते रहते
है कुछ सप्ताह या कुछ मास तक इस तरह ध्यान किये जाओ | थोड़े ही समय में आशा से अधिक
तुम्हारी उन्नति होगी | तुम देखोगे उन्नति के समस्त साधन और समान नहीं दिखने वाले
हाथो और रास्तो से तुम्हारे पास पहुचने लगेंगे | तुम्हारा जीवन तुम्हारी इछाओ के
अनुसार पलट जायेगा | संसार कि हर चीज पर तुम्हारा भी अधिकार होगा |
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