Thursday, May 31, 2012

Mantra for Attraction (How to Attract Anyone)

रामचरितमानस के इस मंत्र  से किसी को भी आकर्षित किया जा सकता है ! पर किसी भी मंत्र का प्रभाव तब होता है जब उस मंत्र को सिद्ध कर लिया जावे !

आकर्षण के लिए मंत्र:-

In English:-

            Jehi Ke Jehi Par Satya Sanehu ! 
                             So Tehi Milahi n Kachhu Sandehu !!

In Hindi:-



            जेहि के जेहि पर सत्य सनेहू !
                          सो तेहि मिलही न कछु संदेहू !!

How to Get Peace of Mind

This mantra used Relief from painful mind:-

मस्तिष्क की पीड़ा दूर करने के लिए व मस्तिष्क की शांति प्राप्त करने के लिए इस मंत्र का उपयोग करना चाहिए !

मन की शांति के लिए मंत्र  :-

In English:-

                   Hanuman Angad Ran Gaaje !
                                      Haank Sunat Rajnichar Bhaje !!

In Hindi:-


         guqeku vaxn ju xkts A 
                    gkad lqur jtuhpj Hkkts AA



Mantra For Destruction Disaster

यह मंत्र रामचरित मानस से लिया गया है और इस मंत्र का प्रयोग विपत्ति नाश के लिए किया जाता है, यहाँ विपत्ति का तात्पर्य किसी भी आपदा, परेशानी, या तनाव से सम्बंधित हो सकता है !

विपत्ति नाश के लिए मंत्र:-

In English:- 


         Rajivnayan  Dhare Dhanu Sayak !
                                  Bhagti Bipti Bhanjan Sukh Dayak !!


In Hindi:-



           jkftou;u  /kjsa  /kuq  lk;d A  
                 Hkxr fcifRk Hkatu lq[k nk;d AA  

Protection Mantra

In which how to protect himself from any condition with mantras:-

रक्षा  मंत्र :-


In English:-
                  
               Mambhirkshay  Raghukul  Nayak !
                                Dhrit Bar Chap Ruchir Kar Sayak !!


In Hindi:-


              ekefHkj{k;   j?kqdqy    uk;d A 
                           /k`r  cj pki  #fpj  dj lk;d AA

भावार्थ--ea= fl) djus ds fy, ;k fdlh ladViw.kZ txg ij jkf= O;rhr djus ds fy, vius pkjksa vksj j{kk dh js[kk [khap ysuh pkfg, A y{e.k th us lhrkth dh dqVh ds vklikl tks j{kk js[kk [khaph Fkh] mlh y{; ij j{kk&ea= cuk;k x;k gS A bls 108 vkgqfr }kjk fl) dj ysuk pkfg, !

Wednesday, May 2, 2012

Ways to achieve your wishes

इच्छा पूर्ति का सुलभ साधन

इस संसार में मनुष्य को अपनी इच्छाओ या आवस्यकताओ पूर्ण कर लेने का यदि कोई सहज सुलभ साधन है तो वह मंत्र साधन ही है | जबकि भगवान के नाम मंत्र का जाप करने से वे भी साधक को सगुण साकार का रूप में दर्शन देकर तथा उसके मनोरथ पूर्ण कर के उसे कृतार्थ कर देते है तो उसके अन्सभूत ऐसे अन्य देवतओं के विषय में तो कहना ही क्या है | इस विषय में शास्त्र के अनेक वचन तथा अनेक साधको के अनुभव भी प्राणभूत है | नारद भक्ति सूत्र में कहा है उच्च स्वर में भगवान का नाम संकीर्तन करने से वे शीघ्र ही भक्त के हृदय में प्रकट होकर उस पर अनुग्रह करते है | तथा कलि संतार्नोपनिषद में कहा हुवा है की “हरे राम हरे राम .........” इस नाम मंत्र का साढ़े तीन करोड जाप करने से भगवन के दर्शन हों जाते है | यह वचन केवल अर्थवाद या अतिशयोक्ति पूर्ण ना होकर यथार्थ सत्य है | जो चाहे अनुभव करके देख सकते है |

वास्तव देवता मंत्रो के आधीन होते है | जैसे कहा हुवा है कि :- “मंत्राधिनस्तुदेवता:| “ जिस देवता के मंत्र को हम जपते है उसी देवता कि आकृति सामने आकार हमारी इच्छाओ कि पूर्ति करती है लेकिन कई लोग हजारों लाखो जाप करने पर भी उससे कहने जैसा विशेष फल उन्हें नहीं मिलता देखने में नहीं आता है इसका कारण यही है कि वे जप कि सही विधि को जाने बिना ही जप करते है वास्तव में मंत्र का रह्श्य बहुत गहन है | तथा उसके साधन कि विधिय भी अनेक है | तथापि सर्व साधारण के लिए सहज सुलभ जप कि विधि इस प्रकार है जिसके द्वारा साधक को थोड़े ही समय में सफलता मिल सकती है |

नित्ये प्रात: सांय दोनों समय किसी शुद्ध पवित्र एकांत स्थान में बैठकर प्रथम ५ से १० प्राणायाम करले | जिससे मन शुद्ध और स्थिर होकर आगे के साधन में बहुत सहायता मिलती है | इसके बाद जिस मंत्र कि साधना करना चाहो उसका स्पष्ट उच्चारण पूर्वक जाप आरंभ करे और एक स्वांस में जितने जप हों उसकी गिनती रखे | इस प्रकार दो घंटा दोनों समय जप करे | चार दिन के बाद एक स्वांस में जप कि संख्या पहले कि अपेक्षा एक अधिक बढ़ादे | इस तरह चार दिन बाद एक एक संख्या बढ़ाते रहना चाहिए | और पास में घडी रख कर यह जान लेना चाहिए कि एक स्वांस में कितने सेकंड लगते है | ऐसा करते हुए आधे मिनट तक एक स्वांस का समय बढ़ा लेना चाहिय | उतने समय जप जितने हों सके करे |

इस प्रकार चालीस दिन अभ्यास सिद्ध कर लेने के बाद मानसिक जप आरंभ करे | इसमें भी एक स्वांस निस्वांस का याने पूरक रेचक का समय आधा मिनट ही रखे अर्थात आधे मिनट में एक स्वांस निस्वांस पूरा करते हुए उसमे जितना जप हों सके उतना करे | इसकी अवधी भी चालीस दिन कि होनी चाहिए | इस प्रकार अभ्यास करते हुए यदि कोई एक स्वांस निस्वांस का समय एक मिनट तक बढ़ालेवे तो बहुत ही उत्तम है | यदि नहीं तो उतना ही पर्याप्त है | इसके बाद मन से जप करते हुए केवल स्वांस कि गति पर ही लख्से रखे इस अभ्यास से आगे जो होगा साधक को स्वयं अनुभव से ज्ञात होगा | इसके बारे में कुछ लिखकर नहीं बताया जासकता | इससे योग कि क्रिया स्वयं ही सिद्ध होती है इसमें और बेहतर करने के लिए मणिपुर चक्र पर ध्यान रखते हुए जप करे तो लाभ जल्दी और ज्यादा होगा | क्योंकि कुडलिनी शक्ति मणिपुर पुर चक्र में बिराजती है बिना मणिपुर के जाग्रत के कोई भी मंत्र सिद्ध नहीं होता है योग शास्त्र यह कहता है :- “ मणिपुरे सदाचित्ता मंत्रणाम् प्राणरूपकं “ अर्थात सूर्य चक्र में ध्यान जमाए रखने से मंत्रो में चेतन्य व जाग्रति उत्पन्न होती है |तभी मंत्र कि सिद्धी होती है उपरोक्त साधना से जितनी भी इच्छाए साधक की है वो अनायाश ही पूरी हों जाएँगी |